बीबी भोलाँ रानी

गुरु की कृपा की पात्र बनी, कुछ विशेष भाग्यशाली आत्माओं ने मुझे यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा दी है। सर्वप्रथम प्रेरणा देने वाली मेरी छोटी बहिन भोलाँ रानी है। यह बहुमूल्य सहयोग व प्रेरणा देने के कारण उस के प्रति मेरे हृदय में कृतज्ञता की पवित्रा भावनाएँ हैं। उस को बाबा नंद सिंह जी महाराज से कीर्तन की दात प्राप्त हुई थी। बाबा जी ने उस को कीर्तन की शिक्षा देने का योग्य प्रबन्ध करने के लिए मेरे पिता जी को आदेश दिया। इस शिक्षा के लिए समाध भाई के रागी जत्थे के अत्यधिक धार्मिक व पवित्र आत्मा वाले भाई आत्मा सिंह जी की सेवाएँ ली गईं। वह शीघ्र ही कीर्तन सीख गईं। वह उल्लसित आनंद में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की अपार स्तुति का कीर्तन करने लगी। पहले उसने ज्ञानी की परीक्षा पास की। फिर पंजाबी में एम॰ए॰ किया। गुरुवानी की उनकी स्पष्ट समझ और महान् गुरुओं के जीवन की पवित्र घटनाओं का उनका गहन मनन अद्भुत रूप से ज्ञानदायक था। वह अपने आदरणीय पिता जी की आज्ञाकारी बेटी थी तथा बाबा नंद सिंह जी महाराज की सर्वोत्तम श्रद्धालु थी। उसने पिता जी के चरण-चिन्हों पर चलते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की निरं...