बाबा नंद सिंह साहिब- हमारे पास आने की ज़रूरत नहीं ।

 


साध संगत जी, फिर पिता जी ने बाबा नंद सिंह साहिब जी की पवित्र साखी सुनाई।

वे कहने लगे- बाबा नंद सिंह साहिब भुच्चो की जूह (क्षेत्र/इलाका) में विराजमान हैं। कुछ दूर स्थित एक गांव में प्लेग फैल गया है। लोग मरने लगे। जब प्लेग फैला तो लोग गांव छोड़ने को विवश हो गए। एक बुद्धिमान व्यक्ति ने उन्हें बताया कि बाबा नंद सिंह साहिब आए हैं, वे भुच्चो के जंगल में ठहरे हुए हैं, क्यों न हम उनके पास चलें।

उन्होने गांव के गुरुद्वारे में जा कर अरदास की। किसके आगे? श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष। रोकर अरदास करते हैं कि-

सच्चे पातशाह, हम बहुत संकट में हैं,  मौत के मुंह में हैं। हम पर कृपा करें,  हमें बचा लें। 

फिर कहा -

गरीब निवाज़, हम बाबा नंद सिंह साहिब के पास जा रहे हैं, वह हमारी मदद करेंगे। हमारे बाल-बच्चे, माई-भाई, सभी बच जायेंगे।

यह अरदास करके गाँव से चल पड़े। 

बाबा नंद सिंह साहिब बाहर ही बैठे थे, सबने जाकर दूर से ही उनको मत्था टेक कर नमस्कार की। बाबा नंद सिंह साहिब ने फ़रमाया -

भले लोगों, आपने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने रोकर अरदास की है। आपकी प्रार्थना स्वीकार हो गई है। यहां आने की क्या जरूरत थी? आपने रो कर साहिब के समक्ष अरदास की, वह स्वीकार हो गई

फ़रमाया -

जाओ, अब वापस चले जाओ। अब कोई नहीं मरेगा।  गांव छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है।  वापस अपने गांव जाओ।

इतनी देर में बाबा नंद सिंह साहिब ने अपना दाहिना चरण अपने बाएं चरण पर रखा। ऐसा करने से उनका चोला थोड़ा एक तरफ खिसक गया तो देखा कि उनकी दाहिनी टांग प्लेग के दागों से भरी हुई थी। यह देखकर सभी हैरान रह गए। इसका मतलब यह था कि बाबा नंद सिंह साहिब ने सभी के दुख अपने ऊपर ले लिए थे। जब गाँव वाले इस विषय में सोच रहे हैं, तब बाबा नंद सिंह साहिब ने पुनः फ़रमाया कि- 

जाओ, तुम्हारी अरदास तो वहीं स्वीकार हो गई थी।

फ़रमाया - 

देखो गुरमुखों, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा ज़ाहरा-ज़हूर, हाज़रा-हज़ूर होनी चाहिए। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्रद्धा रखने वाले सब कुछ प्राप्त कर लेते हैं।  श्रद्धावान की नैया पार हो जाती है। 

जो भी अरदास उन के आगे हो, रो कर अरदास करो, लेकिन अरदास ज़ाहरा-ज़हूर, हाज़रा-हज़ूर होनी चाहिए। 

फ़रमाया -

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी ने यदि हमसे कोई काम लेना होगा तो वे हमें कान पकड़कर उठा कर देंगे, खड़े कर लेंगे और हमसे काम ले लेंगे। गुरमुखों, हमारे पास आने की कोई जरूरत नहीं है।  श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के समक्ष रो कर अरदास किया करो। 

यह बाबा नंद सिंह साहिब समझा रहें हैं।  साध संगत जी, बाबा नंद सिंह साहिब ने फ़रमाया - 

जद तक सानू श्री गुरु ग्रंथ साहिब दे चनां ते परतीत नहीं आऊंदी, साडे पल्ले कुज्ज नहीं पैणा।

 (जब तक हमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब के वचनों पर विश्वास नहीं करेंगे, हमारे हाथ कुछ नहीं आना।)

गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।

(Nanak Leela, Part 2)

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