परमात्मा की प्राप्ति के चार द्वार

परमात्मा की प्राप्ति के चार द्वार सति(सत्य) सतिगुरु(सद्गुरु) सतिनाम (सच्चा नाम) सतिपुरख (सत्पुरुष) सच्चाई के सामने झूठ टिक नहीं सकता। पहला द्वार उस व्यक्ति के लिए खुलता है जो सच्चाई के रास्ते पर चलता है। यह उसे सतिगुरु से मिलाने के लिए दूसरा द्वार खोलता है। फिर तीसरा द्वार खुलता है और सतिगुरु के द्वरा उसे सतिनाम (ईश्वरीय नाम) की बख़्शिश होती है फिर सतिगुरु उसे चौथे द्वार से सतिपुरख (परमात्मा) तक पहुँचाता है। एक ही सत्य, सच्चे हृदय में चार पहलुओं से प्रकट होता है। ऐसे हृदय में ईश्वरीय जागृति और अनुभूति सर्वश्रेष्ठता से राज्य करती है। सच्चाई पर चलते हुए पहले पहलू में पशुता से मानवता की ओर चलना है। दूसरा पहलू है मानवता से आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना। तीसरा पहलू है, आध्यात्मिकता से अपने-आप को जानने का और फिर चौथा पहलू खुलता है स्वयं को जानकर परमात्मा की पहचान तक पहुँचने का। जब तक मनुष्य की पशु प्रवृत्ति समाप्त या लुप्त नहीं होती, व्यक्ति ‘नाम स्मरण’ की पात्रता प्राप्त नहीं करता। ‘कर्म’ की दार्शनिकता से मनुष्य उस सीमा तक उठ जाता है, जहाँ वह ‘नाम’ के योग्य बन जाता है।...