गुरु अरजुनु परतख्य हरि

 

भनि मथुरा कछु भेदु नही गुरु अरजुनु परतख्य हरि॥

श्री गुरु ग्रंथ साहिब, अंग1409

भटू  मथुरा जी फरमाते हैं-

श्री गुरु अर्जन देव जी और अकाल पुरख में कोई अंतर नहीं है

मुझे अहसास  है कि महाप्रकाश, महाज्ञान और परम श्रेष्ठ सति सरूप सतिगुरु परतख हरि श्री गुरु अर्जन देव जी की अगाध गति की कुछ झलकियों के बारे में लिखना बहुत मुश्किल है, क्योंकि चाहे कितनी भी बुद्धिमत्ता, विद्वता और किताबी ज्ञान क्यों न हो। वह श्री गुरु अर्जन देव जी की अपार लीला का कुछ भी अनुमान नहीं लगा सकता। उनकी महिमा अपरंपार है और कोई भी सांसारिक दृष्टि उनकी शाश्वत दिव्य महिमा की कल्पना भी नहीं  सकती।

रोशनी की महान ज्योति श्री गुरु अर्जन देव जी पूरे विश्व को प्रकाशित कर रहे हैं। आप समानता, प्रेम और करुणा की शक्तिशाली किरणों के माध्यम से संपूर्ण मानव जाति का  उद्दार करते हैं।

यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सबसे पहले बाबा नंद सिंह जी महाराज के प्रवचनों को आमने-सामने सुनने और फिर अपने पूज्य पिता बाबा नरिंदर सिंह जी का पवित्र सान्निध्य प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आध्यात्मिक दृष्टि से ये मेरे जीवन की अनमोल एवं पवित्र घड़ियाँ थीं। दिव्य ज्ञान और प्रेमपूर्ण भक्ति के मार्ग को प्रकाशित करने वाले इन महान दिव्य प्राणियों के पावन मुख से मैंने जो दिव्य शब्द सुने, वे अब तक मेरे आध्यात्मिक हृदय का सहारा बने हुए हैं।

बाबा नंद सिंह जी महाराज की पवित्र और प्रत्यक्ष उपस्थिति में, मुझे हमारे प्यारे सतिगुरु गुरु अर्जन साहिब जी द्वारा रचित श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की दिव्य चमत्कारी कृपा का अनुभव हुआ।


जब परमात्मा  कोई धर्मग्रंथ लिखते हैं तो वह स्वयं में समाहित हो जाता है।

बाबा नरिंदर सिंह


मैं इस विनम्र प्रयास को बाबा नंद सिंह जी महाराज की असीम कृपा और अपने पूज्य पिता बाबा नरिंदर सिंह जी से प्राप्त आध्यात्मिक मार्गदर्शन की पवित्र स्मृति को समर्पित करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।

(Nanak Leela, Part 3)

दासन दास

प्रताप सिंह

203, सेक्टर 33ए,

चंडीगढ़

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