मैं किस मालिक का कुत्ता हूँ।

Baba Nand Singh Ji Maharaj De Sri Charnan Da Prem Parkash - Narinder Singh (ब्रि. प्रताप सिंह जी जसपाल द्वारा वर्णित व्यक्तिगत प्रसंग ) मुझे बताते हुए मेरे पिताजी (बाबा नरिंदर सिंह जी) ने फिर फ़रमाया- मेरे पूज्य बाबा जी के विद्या गुरु संत बधावा सिंह जी लहिरे वाले ने अपने सेवकों को इकट्ठा करके फ़रमाया कि- हमारे इस स्थान और हर चीज के वारिस और मालिक बाबा नंद सिंह जी महाराज हैं। वही इस उत्तम वस्तु के अधिकारी हैं। उनको बुलाकर ले आओ। बाबा नंद सिंह जी महाराज के पास जब बुलावा पहुँचा तो उन्होंने अपनी ओर से विनती की कि- दर्शनों के लिए तो हम हर वक्त तैयार हैं, पर इस काम के लिए नहीं। संतो ने फिर भी स्टाम्प-पेपर तैयार करा लिए और बाबा जी की प्रतीक्षा करने लगे। बाबा जी वहाँ पहुँचे। सत्कारपूर्वक चरणों में नमस्कार किया और आदेश पूछा। उस वक्त उनके सभी सेवक पास ही खड़े थे। संतों ने फ़रमाया कि- इस स्टाम्प-पेपर पर दस्तख़त कर दो। बाबा जी ने हाथ जोड़कर विनती की कि- गरीबनिवाज़, इस गरीब का तो नाम किसी कागज़ पर नहीं आया। न ही दस्तख़त करने आते है और न ही कभी किये हैं। पढ़कर तो सु...