दरवेशों, फकीरों के शहंशाह बाबा श्री चंद जी
हजरत मियां मीर अपने समय के एक महान फकीर, एक महान दरवेश हुए हैं। यह वही महान व्यक्तित्व थे जिनसे गुरु अर्जन परतख हरि मेरे साहिब ने श्री हरमंदिर साहिब की पवित्र नींव रखवाई थी। उस समय के शासक उनके दर्शनों के लिए जाया करते थे।
बादशाह जहाँगीर बड़े आदर के साथ उनके चरणों में उपस्थित होते थे। एक बार बादशाह जहांगीर ने बड़ी विनम्रता से हजरत मियां मीर से पूछा-
हुजूर 'मैं' दुनिया का बादशाह हूं। वर्तमान समय में मुझे सभी बादशाहों में सबसे महान बादशाह माना जाता है। मुझे आलमगीर कहा जाता है। मुझे शहंशाह कहा जाता है। बादशाहों का बादशाह भी कहा जाता है।
गरीब निवाज़, आप हमारे पीर हैं, आप एक महान फ़क़ीर हैं, महान दरवेश हैं। गरीब निवाज़! एक बात बताइए कि आपके फकीरों में, दरवेशों में भी कोई शहंशाह है जो सबसे बड़ा फकीर है, सबसे बड़ा दरवेश है।
यह सवाल पूछता है। तब हजरत मियां मीर जवाब देते हैं-
हाँ बादशाह! हमारे फकीरों और दरवेशों का भी बादशाह है।
जहाँगीर फिर पूछता है-
गरीब निवाज़! वह कौन है?
तब हजरत मियां मीर बड़ी फखर के साथ कहते हैं-
शहंशाहे फकरां पिसरे नानक
फकरां -फकीर को कहा जाता है।
गुरु नानक पातशाह के साहिबजादे, गुरु नानक पातशाह के पुत्र बाबा श्री चंद जी हैं।
शहंशाहे फकरां पिसरे नानक
हमारे दरवेशों, हमारे फकीरों का सिरताज है, शहंशाह गुरु नानक साहिब के साहिबजादे बाबा श्री चंद जी हैं।
यह सुनकर जहाँगीर को बहुत आश्चर्य हुआ और उसने बहुत सोचा कि बाबा श्री चंद जी गुरु नानक पातशाह के पुत्र हैं जिन्होंने हमारे परिवार को आशीर्वाद दिया था। गुरु नानक साहिब ने हमारे सबसे बड़े बुजुर्ग बाबर पर भी कृपा की थी और आशीर्वाद दिया था। सात मुट्ठी भर बख्शिश की थी।
परन्तु साध संगत जी!
सोचने वाली बात ये है कि हजरत मियां मीर क्या कह रहे हैं-
बादशाह जहांगीर, तुम अपने आप को इस नश्वर संसार का राजा मानते हो।
तुम इस नश्वर संसार के दो-चार दिन के मेहमान शासन को अपना मानते हैं।
लेकिन तुम नहीं जानते कि इस संसार का असली राजा, बादशाह कौन है? जहां इन चार दिनों के पराये शासन को तुम अपना मानते हैं, परन्तु अनंत काल के बादशाह बाबा श्री चंद जी हैं।
साध संगत जी,
हम भी, सबसे पहले, बाबा श्री चंद जी महाराज, जिनका आज महान जन्मदिन मनाया जा रहा है। जिनके चरणों में हम इस समय बैठे हैं। हम भी उस फकीरों के शहंशाह, दरवेशों का शहंशाह, जोगियों के बादशाह , उस महान जती, उस महान सती, उस महान तपस्वी को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
आइए हम उनके चरणों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। उन्हें "जी आयां नूं" कहकर हम उनके चरणों में वंदन करें।
तेरे रंगां तों बलिहार बाबा श्री चंद जी।तेरे चरणां तों बलिहार बाबा श्री चंद जी।तेरे बचनां तों क़ुरबान बाबा श्री चंद जी।मैं सदके सौ सौ वार बाबा श्री चंद जी।
अज्ज सच्च दा चन्द्रमा चड़ेया ए ,जग ख़ुशी दे राग अलाप रिहा।मस्ती विच्च साणूं सारा ही,संसार झूमदा जाप रिहा।
जी आयां नूं, जी आयां नूं,बाबा श्री चंद जी, जी आयां नूं।बाबा श्री चंद जी, जी आयां नूं।
धरती ने अमृत धुणी लायी होई ऐ।जी आयां नूं, बाबा श्री चंद जी ,कण-कण ने गूँज पायी होई ऐ।
(Smast Ilahi Jot Baba Nand Singh Ji Maharaj, Part 5 Punjabi)
गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।
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