नौकरी करने की विधि

 




मैं बी.ए. पास करके फौज में अफसर के तौर पर भर्ती हो गया। जिस दिन मुझे नौकरी पर जाना था तो पिताजी ने यह हिदायत दी कि बाबा नंद सिंह जी महाराज ने मुझे नौकरी करने की विधि समझाते हुए इस तरह फरमाया था-
देख पुत्र, नौकरी के समय दफ्तर में कई घंटे व्यतीत करने पड़ते हैं। दफ्तर में बैठते ही दो-एक मिनट के लिए यह कर लिया कर-
 गुरु नानक पातशाह को अपने सामने रखकर यह विनती करना- 
हे गुरु नानक! मैं तेरा और यह नौकरी भी तेरी ही बख़्शी हुई है। यह सत्या और सामर्थ्य भी तेरा है, यह कलम भी तेरी है। हे सच्चे पातशाह! जिस तरह आपको अच्छा लगे यह नौकरी करवा लो, जो आपको अच्छा लगे वही मुझसे बुलवा लो, और जो आपको अच्छा लगे वही आप लिखवा लो। हे सच्चे पातशाह! मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा।

 फिर सारा उत्तरदायित्व गुरु नानक का है, गुरु नानक के चरणों में की गई नौकरी सफल है। गुरु नानक जी की सेवा में लगा नौकरी का हर श्वास सफल है।

मैंने यह नसीहत पल्ले में बाँध ली और आखिर तक निर्वाह किया। इस नसीहत को निभाने से मिले लाभ का मैं वर्णन नहीं कर सकता। बहुत ही आश्चर्यजनक घटनाएँ और कौतुक घटित हुए। 

बाबा नंद सिंह जी महाराज इस तरह सदा सर्वदा रक्षा करते रहे जिस तरह पिताजी ने बताया था।

     अपणे बालक अपि रखिअनु पारब्रहम गुरदेव।।

                                                                                              -श्री गुरु ग्रंथ साहिब, अंग 819

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