बीबी अजीत कौर



दूसरी पवित्र आत्मा मेरी बड़ी बहिन बीबी अजीत कौर है, जिसने मुझे यह पुस्तक लिखने के लिए प्रेरणा दी है। वह श्री गुरु नानक जी के नित्य संपर्क में रहने वाली धार्मिक महिला थी। उसका ध्यान सदैव सतिगुरु जी के चरणों में जुड़ा रहता था  उसको बाबा जी के प्रेम में कई बार चमत्कारी अनुभव भी हुए थे  इनके विषय में मैं फिर कभी लिखूँगा। यहाँ पर मैं केवल वर्ष 1955 के आस-पास की एक छोटी-सी घटना का वर्णन कर रहा हूँ।

पिता जी को उसके (बीबी अजीत कौर के) पति की ओर से एक तार मिला कि एक बड़ा आप्रेशन करने के लिए उसको (मेरी बहिन को) अस्पताल में दाखिल करवा दिया है। पिता जी अपने कृषि-फार्म के किसी कार्य के लिए फिरोज़पुर गए हुए थे। यह समाचार सुन कर वह फिरोज़पुर से जम्मू पहुँच गए। उस समय बीबी अजीत कौर का आप्रेशन हो रहा था। ज्यों ही यह बड़ा आप्रेशन समाप्त हुआ तो एक डाॅक्टर आप्रेशन थियेटर से बाहर निकला। पिता जी उसके चरणों में गिर पडे़। यह डाॅक्टर अन्य और कोई नहीं, सदैव रक्षक स्वयं बाबा नंद सिंह जी महाराज थे। बाबा जी ने ही आप्रेशन करके उसको नया जीवन प्रदान किया था। ज्यों ही पिता जी ने सिर ऊपर उठाया, बाबा जी वहाँ से अलोप हो चुके थे। पिता जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली, वह बच्चों की तरह बिलखने लगे। मेरी बहिन को नवजीवन का दान मिल गया था। इस दिन के बाद उस को निराले बाबा जी के दर्शन तथा अनुभव होते रहते हैं।

इस आप्रेशन के दौरान भी उसको रक्षक बाबा जी के स्वस्थ करने वाले स्पर्श की अनुभूति हुई थी। यह अनोखा अनुभव नवजीवन मिलना बड़ी कृपा की बात थी। इस के उपरान्त उस ने अपना ध्यान सदैव सतिगुरु जी के चरणों में लगाए रखा। वह बाबा जी की कृपा के रंग में रंगी रहती थी। 

गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।

(Smast Ilahi Jot Baba Nand Singh Ji Maharaj, Part 1)

Comments

Popular posts from this blog

अपने स्वामी की प्रशंसा में सब कुछ दांव पर लगा दो।

ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਫਲ

ਪਿੰਗੁਲ ਪਰਬਤ ਪਾਰਿ ਪਰੇ