शहीदी (2)

शहादत का महान दात ईश्वर के कुछ चुनिंदा प्रिय बच्चों को ही प्राप्त होती है। ईश्वर ने अपने प्रिय पुत्र ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने के लिए कहा। ईश्वर ने अपने प्रिय पुत्रों श्री गुरु अर्जन देव जी और श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी को शहादत स्वीकार करने के लिए कहा। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने सबसे प्रिय सिक्खों को शहादत की इस बख्शिश के लिए चुना था। भाई मति दास जी को दो टुकड़ों में चीर दिया गया, भाई सती दास जी को जिंदा जला दिया गया और भाई दयाला जी को उबलते हुए देग में उबाला गया। श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी ने अपने प्रिय सिक्खों और साहिबजादों को पवित्र मृत्यु को स्वीकार करने के लिए चुना और उन्हें इस दात से सम्मानित किया था।

वह भाग्यशाली हस्ती जिसने गुरु की कृपा से दोनों बख़्शिशों का स्वाद चख लिया हो, (पहला स्वाद प्राप्ति का तथा दूसरा जाम-ए-शहादत का) वह दावे के साथ कह सकता है कि गुरु द्वारा बख्शा गया शहादत का फल प्राप्ति से कहीं अधिक स्वादिष्ट है।

बाबा नरिंदर सिंह जी 

भगवान श्री राम चन्द्र जी, माता सीता जी, लक्ष्मण जी, महात्मा बुद्ध, महावीर, प्रभु ईसा, हजरत मुहम्मद साहब और उनके दोहते हसन हुसैन की कहानियां अत्याधिक यातना और उत्पीड़न की लंबी और दिल दहला देने वाली कहानियां हैं।

धार्मिक इतिहास साक्षी है कि फूलों की सेज पर किसी को भी दिव्य ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है। गुरु अर्जन देव जी एक महान आध्यात्मिक दाता हैं। उन्होंने हम पर दया की और हमारे  कल्याण हेतु 'परतख हरि' का रूप धारण किया। उन्होंने दया स्वरुप तपती मानवता को राहत देने के लिए स्वयं तत्ती-तवी पर आसन लगा लिया।  

उन्होंने अपनी पूरी दिव्य शक्ति श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में समाहित कर दी और हमारे लिए खुद को बलिदान कर दिया।

हमें अपने प्रिय सतिगुरु के प्रति कृतज्ञता और सम्मान में देरी नहीं करनी चाहिए। श्री गुरु अरजन देव जी पीड़ित मानवता को राहत देने के लिए तत्ती-तवी पर बैठे थे। क्योंकि संसार कलियुग की आग में जल रहा था।

धंन गुरु अरजन  देव साहिब जी

गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।

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