जीना झूठ है और मरना सच है।
यह जो प्रेम है साहिब के प्रति, इस अमृत बाणी के प्रति, गुरु तेग बहादुर साहिब के प्रति, गुरु नानक पातशाह के प्रति, यह प्रेम अहंकार से मुक्त कर देता है, माया से मुक्त कर देता है।
साध संगत जी, गुरु के प्रेम में, गुरु के आशीर्वाद में इतनी शक्ति है।
बाबा नंद सिंह साहिब ने बहुत ही चतुराई से एक रहस्य, एक युक्ति समझाते हुए फ़रमाया -
...इस संसार में रहते हुए, चूँकि हर चीज़ ने एक पल में पराया हो जाना है, कोई भी चीज़ अंततः सहायक नहीं है, साथी नहीं है।
इसलिए उन्होंने फ़रमाया -
इस संसार में मनुष्य किसी भी चीज को अपना ना समझे। जैसे यह 'मैं-मेरा' (का भाव) है, यदि यह 'मैं' है तो यमराज का दंड सिर पर खड़ा है, लेकिन अगर 'मैं-मेरी' नहीं है, यदि वह इसे अपना नहीं मानता, यदि वह हर चीज को गुरु का आशीर्वाद मानता है, तो बाबा नंद सिंह साहिब ने फ़रमाया कि यह हिसाब में नहीं है, यह किसी खाते में नहीं है।
उसे याद रखने का ... क्योंकि जीना झूठ है और मरना सच है, मौत को हमेशा याद रखें।
ऐसा करने से कोई भी श्वास कभी बर्बाद नहीं हो सकता। जब श्वासों की कीमत आंकी जाती है, तब पता चलता है कि सबसे कीमती चीज इस जीवन की, इस मनुष्य जन्म की श्वास हैं और फिर यह श्वास जो इस दुनिया की सारी कमाई दे कर भी नहीं खरीदी जा सकते, लाखों (रूपए) से भी नहीं खरीदी जा सकते, कोई आपको यह श्वास नहीं दे सकता।
भादुइ भरमि भुलाणीआ दूजै लगा हेतु ॥
श्री गुरु ग्रंथ साहिब, अंग 134
केवल ऐसे गुरमुख महापुरुष की संगति करो जिसकी अपनी कोई पकड़ न हो। जो तुम्हें साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब से, श्री गुरु नानक पातशाह के चरण कमलों से जोड़े। जो तुम्हें अपने साथ जोड़े ऐसे व्यक्ति से किनारा करो।
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