जो सरणि आवै तिसु कंठि लावै
भले लोगो, आठवां गुरु नानक दिल्ली में पधारे हैं। राजा जय सिंह के महल में उनके अतिथि स्वरूप ठहरे हैं। चलो, चल कर उनके पास इस कष्ट से मुक्ति पाने की विनती करते हैं।
जो सरणि आवै तिसु कंठि लावै इहु बिरदु सुआमी संदा॥
उस के तीन स्वरुप हैं। जब भी परमात्मा स्वरुप धारण करके अवतरित होता है,
क्योंकि वह प्रकाश-स्वरुप है इसलिए आ कर प्रकाश ही बांटता है।वह प्रेम ही प्रेम है और प्रेम ही बांटता है।वह दया-स्वरुप है...
सतिगुरु दईआ निधि महिमा अगाध बोध॥
नमो नमो नमो नमो नेत नेत नेत है॥
भाई गुरदास जी
वह दया का सागर है। दया का समुन्द्र है और दया की वर्षा करता है।
फिर पिता जी कहने लगे कि एक बार बाबा नन्द सिंह साहिब ने फ़रमाया -
जब वर्षा होती है तो वह सब पर एक समान बरसती है।
और जब गुरु कृपा करता है वह भी....
उस का भी यही स्वभाव है। सब को समान कृपा-दृष्टि से देखता है।
फिर पिता जी एक और बात बताई। कहने लगे -
यह सूरज तो उस का बनाया हुआ है उसकी आज्ञा में है, उस के भय में है।
कहने लगे -
सूरज सब को एक समान सुख देता है। उस की रोशनी सब के लिए है। यह बांटी नहीं जा सकती है और न ही यह किसी को बांटती है।
कहने लगे -
अब अल्लाह का नूर आया है... , जितने भी मुस्लिम आए उन्हें भी उसी दया से निवाज़ रहे हैं जिस दया और प्रेम से ईसाईयों को।
वह प्रेम-स्वरुप उन का प्रभु उन पर उसी प्रेम की बख्शिश कर रहा है।
यदि कोई हिन्दू आ रहा है तो उन का भगवान् उन पर भी उसी प्रकाश की वर्षा कर रहा है, क्योंकि वह सब का साझा है।
- गुरु नानक निरंकार सब का साझा है।
- उस का प्रकाश भी साझा है।
- उस का प्रेम भी साझा है।
- उस की दया भी साझी हैऔर
- वह सब पर समान रूप से पड़ रही है।
साध-संगत जी, कमाल हो गई।
मेरे साहिब ने सारी दिल्ली को आनंद से भर दिया। सारी दिल्ली अश-अशकर उठी।अब सारी दिल्ली गा रही है -
श्री हरिकृष्ण धिआईअै जिस डिठै सभ दुख जाए॥
साहिब का कंठ लगाने का तरीका देखो।
जो भी उनकी शरण में आ रहा है उनको किस तरह अपने कंठ से लगा रहे है ?
साहिब शरण में आए सब के दुख अपने गले लगा रहे हैं।
सब का दुख अपने ऊपर ले कर उसका भुगतान कर रहे हैं।
दया-स्वरुप आठवें गुरु नानक किस तरह उन सब को अपने कंठ लगा रहे हैं !!!
फ़रमाया-
जी आयाँ नूं। आप गुरु नानक की शरण में आए हैं। आपका स्वागत है।
अपने सारे दुख गुरु नानक को दे दो।
बाबा नन्द सिंह साहिब ने फ़रमाया -
जिस गरीब का कोई नहीं उसका गुरु नानक है।
गुरु नानक दाता बख्श लै।
बाबा नानक बख्श लै॥
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