गुरु नानक दाता बख्श लै, बाबा नानक बख्श लै।

 




 ब्रि. प्रताप सिंह जसपाल जी का व्यक्तिगत अनुभव 

एक दिन मैं अपने पिछले महीनों का लेखा-जोखा करने तथा अन्य सम्बन्धित रसीदों को फाइलों में लगाने में काफी व्यस्त था। सायंकाल को मैंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र हजूरी में नाम-सिमरन का नित-नियम पूरा किया तो मुझे एक दिव्य सूरत के दर्शन हुए। 
यह हजूर बाबा हरनाम सिंह जी महाराज थे।
बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने पूछा-
आज तूने सारा दिन हिसाब-किताब में ही गुज़ार दिया है। तुम सभी से हिसाब-किताब का ब्यौरा माँगते हो। अगर इस जन्म का हिसाब-किताब देने के लिए तुम को कहा जाए... इस जन्म का ही नहीं बल्कि तुम से पूर्व जन्मों का हिसाब-किताब पूछा जाए तो फिर तुम क्या करोगे? 
मैं पूरी तरह से डगमगा गया। तब मैंने यह अनुभव किया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अच्छे व बुरे कर्मों के लिए उत्तरदायी है प्रत्येक को अपने सभी कर्मों का विस्तारपूर्वक लेखा-जोखा देना पड़ेगा तथा सच की इस बड़ी अदालत में ठीक-ठाक हिसाब-किताब व फैसला किया जाएगा।अचानक मुझे बाबा नंद सिंह जी महाराज के पवित्र वचन याद आ गएः
साडी हिसाब नाल नहीं मुकणी,
हिसाब नाल साडी पूरी नहीं पैणी
कार्यों के हिसाब-किताब के आधार पर हमारा बचाव नहीं होना। 
तदुपरान्त मैंने अपने पिता जी को खड़े हुए बहुत विनम्र भाव में अपनी आत्मा की गहराइयों से अरदास करते हुए देखा:
गुरु नानक दाता बख्श लै,
बाबा नानक बख्श लै
मुझे मनुष्य के कर्मों की उस भयानक बीमारी के इलाज का महान् रूहानी एवं अलौकिक नुस्खा शब्द-शक्ति के रूप में पूरी तरह से समझ में आ गया। 

श्री गुरु नानक साहिब जी अनन्त कृपा की कोई सीमा नहीं है। गुरु नानक देव जी बड़े-बड़े पापियों का उद्धार किया करते थे। दयालु सतिगुरु नानक देव जी ने कोड्डे राक्षस, सज्जन ठग, दीपालपुर के कुष्टी तथा बहुत सारे अन्यों से भी उनका हिसाब-किताब नहीं माँगा था।

यह प्रार्थना प्रत्येक जिज्ञासु को श्री गुरु नानक साहिब जी की अनन्त कृपा के घेरे में ले जाती है। प्रार्थना मनुष्य का लेखा-जोखा के पंजे से बचाती है। 

मैं अपने पिता जी के पीछे खड़ा होकर परम दयालु श्री गुरु नानक साहिब जी से क्षमा के लिए प्रार्थना करने लगा। 
श्री गुरु नानक साहिब स्वभाव से ही दयालु व कृपालु हैं।
सतिगुर दइआ निधि महिमा अगाधि बोधि
नमो नमो नमो नमो नेत नेत नेत है।
भाई गुरदास जी
बाबा हरनाम सिंह जी महाराज मुस्कराए व अलोप हो गए।
लेखा मांगै ता किनि दीऐ।।
सुखु नाही फुनि दुऐ तीऐ।।
आपे बखसि लए प्रभु साचा
आपे बखसि मिलावणिआ।।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब, अंग 111
श्री गुरु अमरदास जी फरमाते हैं-
अगर प्रभु कार्यों का लेखा-जोखा माँगे तो प्रभु की संतुष्टि के अनुरूप ऐसा कौन कर सकता है। लेखा-जोखा के आधार पर कभी भी कृपा प्राप्त नहीं होती। प्रभु अपनी कृपा से ही क्षमा करता है तथा स्वयं अपने साथ जोड़ता है।

 

गुरु नानक दाता बख्श लै, बाबा नानक बख्श लै।

 

यह दयावान सतिगुरु श्री नानक देव जी के समक्ष दया करने के लिए की गई प्रार्थना है।
यह आंतरिक हिलौरा देने वाली प्रार्थना निराली व जादुई है।

गुरु नानक दाता बख्श लै, बाबा नानक बख्श लै।

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