होहु सभना की रेणुका - सारी सृष्टि की धूलि कैसे बनें ?




पहिला मरण कबूलि जीवण की छडि आस।
होहु सभना की रेणुका तउ आउ हमारै पास।।
-श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, अंग 1102
एक बार मैंने उपर्युक्त संदर्भ में अपने पूज्य पिता जी से जिज्ञासावश पूछा- 
मानवीय तौर पर सारी सृष्टि की धूलि बनना तो असम्भव है। 

उन्होंने फ़रमाया- 
जब किसी वृक्ष की जड़ को पानी दिया जाता है तो उसके सभी पत्तों और टहनियों को अपने आप पानी मिल जाता है।

यदि कोई सतिगुरु के चरणों-कमलों की धूलि बन जाता है, वह अपने-आप ही पूरी सृष्टि की धूलि बन जाता है। सतिगुरु अमर हैं और समूचे ब्रह्माण्ड में निवास करते हैं। 

पिता जीअपने इष्ट की पूजा भी इसी प्रकार की और पूर्ण रूप से बाबा नंद सिंह जी महाराज के चरण-कमलों की धूलि बन गए। वरना जीवन में कुछ लोगों को ही प्रसन्न कर पाना कठिन होता है।

सतिगुरु मेरा सदा सदा ना आवै ना जाइ।।
ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ।।
-श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, अंग 759
बाबा नरिन्दर सिंह जी ने आगे इस तरह समझाते हुए फरमाया- 
सतिगुरु अविनाशी पुरुष हैं और सभी में समाए हुए हैं। जब सतिगुरु के चरणों की धूलि बन जाने से ही व्यक्ति अपने आप सारी सृष्टि के चरणों की धूलि बन जाता है।

 

ब्रहम गिआनी का सगल अकारु।
ब्रहम गिआनी आपि निरंकारु।
-श्री गुरु ग्र्न्थ साहिब, अंग 273.274

यह सारी सृष्टि ही ब्रह्मज्ञानी का आकार है, जब ब्रह्म ज्ञानी के चरणों की धूलि बन गए तो इस सारी सृष्टि के चरणों की भी धूलि बन गए।

रूह दर हर जिस्म गुरु गोबिन्द सिंह।
नूर दर हर चश्म गुरु गोबिन्द सिंह।
-भाई नंद लाल जी

श्री गुरु गोबिन्द सिंह साहिब जी स्वयं ही सभी आत्माओं की आत्मा हैं और सभी नेत्रों की ज्योति हैं। भाई कन्हैया जी और भाई नंदलाल जी श्री गुरु गोबिन्द सिंह साहिब जी के चरणों की धूलि बन चुके थे इसलिए ही तो उन्हें सब में उनके ही दर्शन होते थे। इस तरह वे सभी के चरणों की भी धूलि बन चुके थे।

  गुरु नानक दाता बख्श  लै

बाबा नानक बख्श लै।



 

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