भगवान् श्री राम के चरणों का स्पर्श
जय जय राम कथा, जय श्री राम कथा
भगवान् श्री राम के जन्म-दिवस की बधाई
साध-संगत जी, जिस समय महाऋषि विश्वामित्र भगवान् श्री राम और लक्ष्मण जी को ले कर माता सीता के स्वयंवर के लिए जनक पूरी जा रहे थे। रास्ते में एक खंडहर दिखा।भगवान् श्री राम पूछते हैं - यह कौन सा स्थान है ?
महाऋषि विश्वामित्र जी ने बताया - यह गौतम ऋषि का आश्रम है। युग बीत गया है इस आश्रम को खंडहर हुए।
भगवान् श्री राम - गरीब निवाज़, यह एक स्त्री के आकार का पत्थर पड़ा है। यह कौन है ?
महाऋषि विश्वामित्र जी ने उन्हें सारा प्रसंग सुनाया कि किस तरह गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी आहिल्या को श्राप दे कर उसे पत्थर में परिवर्तित कर दिया था।
परन्तु जब आहिल्या ने कहा - मेरा तो कोई कसूर नहीं था और आप ने मुझे बहुत बड़ा श्राप दे दिया है। मेरा उद्धार कब होगा?
तब गौतम ऋषि ने कहा - देख आहिल्या, मैं अपना श्राप वापिस नहीं ले सकता। पर मैं तुझे एक वर देता हूँ कि जब भगवान् श्री राम आएँगे तो उनके चरण-स्पर्श से, उनकी चरण-धूलि से तेरा उद्धार होगा।
अब हुआ क्या?
अब महाऋषि विश्वामित्र जी भगवान् श्री राम को कह रहे हैं - अब आप इसके मस्तक पर अपने चरण स्पर्श कीजिए। लाखों वर्षों से आपके चरण-धूलि को तरस रही है।
जैसे ही भगवान् श्री राम ने उसके मस्तक को अपने चरण से स्पर्श किया तो आहिल्या अपने वास्तविक स्वरुप में प्रकट हो गयी।
जैसे ही आहिल्या अपने वास्तविक स्वरुप में प्रकट हुई तो वह भगवान् श्री राम के चरणों से लिपट गई।
भगवान् श्री राम के दर्शन करती हुई कह क्या रही है ?
(आहिल्या) - मुझे तो उस श्राप ने भी धन्य कर दिया जो मुझे मेरे पति गौतम ऋषि ने दिया था। उन्होंने तो मुझे श्राप दिया था किन्तु मेरे भाग्य देखो कि मुझे भगवान् के दर्शन हो रहे हैं, उनके चरण-धूलि प्राप्त हुई है, उनके चरणों का स्पर्श प्राप्त हुआ है।
गुरु नानक दाता बख्श लै,
बाबा नानक बख्श लै।
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