शहीदों के सरताज सतिगुरु अर्जन देव जी
भनि मथुरा कछु भेदु नही गुरु अरजुनु परतख्य हरि ॥
भटु मथुरा जी फरमाते हैं कि गुरु अर्जन देव जी और अकाल पुरख में कोई भेद नहीं है।
ततु बिचारु यहै मथुरा
जग तारन कउ अवतारु बनायउ ॥
जप्यउ जिन्ह अरजुन देव गुरू
फिरि संकट जोनि गरभ न आयउ ॥
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, 1409
भटु मथुरा जी इस शब्द में ब्रह्म-ज्ञान का सार (त्तत) पेश करते हैं -इस संसार के उद्धार के लिए अकाल पुरख स्वयं मानव रूप में अवतरित हुआ है। इस लिए जो भी शहीदों के सरताज सतिगुरु अर्जन देव जी की अराधना करता है उसे जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है।
- श्री गुरुअर्जन देव जी का प्रकाश गोइंदवाल साहिब में 1563 ई. में हुआ।
- आप श्री गुरु रामदास जी के सब से छोटे साहिबज़ादे थे।
- आप जी को 18 वर्ष की आयु में गुरगद्दी प्राप्त हुई।
- आप जी 1581 से 1606 ई. तक गुरगद्दी पर विराजमान रहे।
- श्री अर्जन देव जी ने पवित्र सरोवर में हरिमंदिर साहिब की रचना करवा कर उस में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी का प्रकाश किया।
- इस के कुछ समय बाद आप जी ने अपना महान बलिदान दे दिया।
गुरु नानक दाता बख़्श लै, बाबा नानक बख़्श लै।
www.SriGuruGranthSahib.org
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